Header Ads Widget

Responsive Advertisement

Ticker

6/recent/ticker-posts

स्कूली बच्चों को अध्यात्म की भी शिक्षा मिले: लालकृष्ण आडवाणी

डिबाई दैनिक प्रभात संकलन ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय साभार नवभारत टाइम्स

Advani
लालकृष्ण आडवाणी
तिरुवनंतपुरम।। बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले इतिहास में केवल राजाओं की कहानियों के बजाय साधुओं, संतों उनकी शिक्षाओं और आदर्शों के बारे भी बताया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाज्ञपूर्ण है कि हमारे साधुओं-संतों के असाधारण योगदान को बच्चों से आमतौर पर दूर रखा गया है। अक्सर यह दुहाई दी जाती है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म से जुड़ी शिक्षा वर्जित है। यह एक बेतुका दृष्टिकोण है।' आडवाणी ने यह बात केरल के शिवगिरी मठ में वार्षिक तिर्थयात्री सम्मेलन में कही। वह इस सम्मेलन का उद्घाटन करने गए थे।

उन्होंने कहा, 'अगर स्वामी दयानंद सरस्वती, श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जैसे संतों की शिक्षाओं और आदर्शों को सिलेबस का हिस्सा बनाया जाता है तो इससे हमारे स्कूली स्टडी का स्तर बढ़ेगा।' इस बात को आडवाणी ने दुर्भाज्ञपूर्ण बताया कि अभी हमारे स्कूलों में इतिहास की पढ़ाई पूरी तरह राजाओं, राजवंशों और उनके बीच युद्धों से उनके लाभ-हानि पर केंद्रित है। सिलेबस में उस समय के साधु संतों का कोई उल्लेख नहीं है, जिन्होंने समाज को किसी ना किसी रूप में ज्यादा प्रभावित किया था। केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने आडवाणी को आश्वस्त किया कि स्कूल के सिलेबस में उन महात्माओं को शामिल किया जाएगा जिन्होंने 20वीं सदी में आधुनिकता का प्रसार किया था।

उन्होंने सुझाव दिया कि जिस तरह आई क्यू के बाद अब एम क्यू (भावानात्मक पुट) पर जोर दिया जाने लगा है उसी तरह हमें एस क्यू यानी आध्यात्मिकता पर भी ध्यान देना चाहिए। बीजेपी नेता ने कहा कि एस क्यू की बात करते हुए उनके मन में कोई भी धर्म या पंथ नहीं है, बल्कि उनके मन में केवल यह है कि एक छात्र अपने शिक्षण संस्थान से क्या नैतिक मूल्य हासिल करता है।



Post a Comment

0 Comments