डिबाई दैनिक प्रभात संकलन ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय साभार नवभारत टाइम्स
लालकृष्ण आडवाणी |
उन्होंने कहा, 'अगर स्वामी दयानंद सरस्वती, श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जैसे संतों की शिक्षाओं और आदर्शों को सिलेबस का हिस्सा बनाया जाता है तो इससे हमारे स्कूली स्टडी का स्तर बढ़ेगा।' इस बात को आडवाणी ने दुर्भाज्ञपूर्ण बताया कि अभी हमारे स्कूलों में इतिहास की पढ़ाई पूरी तरह राजाओं, राजवंशों और उनके बीच युद्धों से उनके लाभ-हानि पर केंद्रित है। सिलेबस में उस समय के साधु संतों का कोई उल्लेख नहीं है, जिन्होंने समाज को किसी ना किसी रूप में ज्यादा प्रभावित किया था। केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने आडवाणी को आश्वस्त किया कि स्कूल के सिलेबस में उन महात्माओं को शामिल किया जाएगा जिन्होंने 20वीं सदी में आधुनिकता का प्रसार किया था।
उन्होंने सुझाव दिया कि जिस तरह आई क्यू के बाद अब एम क्यू (भावानात्मक पुट) पर जोर दिया जाने लगा है उसी तरह हमें एस क्यू यानी आध्यात्मिकता पर भी ध्यान देना चाहिए। बीजेपी नेता ने कहा कि एस क्यू की बात करते हुए उनके मन में कोई भी धर्म या पंथ नहीं है, बल्कि उनके मन में केवल यह है कि एक छात्र अपने शिक्षण संस्थान से क्या नैतिक मूल्य हासिल करता है।
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