भारत की एकता के लिए खतरा वनी ए आई एम आज से नही आजादी से पहले से ही भारत के खिलाफ काम करने बाला दल था लेकिन देश के तत्कालीन नेताओं की देश तोड़क गतिविधियों जिनमें पाकिस्तान का निर्माण भी शामिल था के कारण ही ए आई एम आज तक भारतीय राजनीति में जिन्दा है और आज भारत में ही भारतीय आवाम को गाली देने की उसकी हिम्मत इन्हीं नेताओं और इनके वंशजों के रहमोकरम के कारण हो रही है ।ऑल
इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) करीब 80 वर्ष पुराना संगठन
है और नफरत की कहानी भी उतनी ही पुरानी है। इस संगठन से 1957 में बैन हटाया
गया था। बैन हटने के बाद ही इस संगठन की बागडोर ओवैसी परिवार के हाथ में
आई थी। गौरतलब है कि जब देश आजाद हुआ तो यह संगठन हैदराबाद को हिन्दुस्तान
का हिस्सा बनाने के पक्ष में नहीं था। उसने अलग मुस्लिम राज्य का मांग की
थी। हैदराबाद के विलय के बाद भारत सरकार ने इस संगठन पर बैन लगा दिया था।
जब ओवैसी परिवार के हाथ में इस संगठन की बागडोर आई तब भी यह संगठन नफरत की सियासत करता रहा। अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपने दादा की नफरत की सियासत को ही आगे बढ़ाया है। अकबरुद्दीन के दादा मौलाना अब्दुल वहीद ओवैसी को भी नफरत फैलाने के लिए 11 महीने तक जेल में रखा गया था। वहीद ओवैसी ने भी 56 साल पहले कुछ ऐसी ही आग उगली थी।
अब्दुल वहीद को 14 मार्च 1958 को अरेस्ट किया गया था। वहीद पर हैदराबाद पुलिस ने सांप्रदायिक सद्भावना को भंग करने, मजहबी नफरत फैलाने, स्टेट के खिलाफ मुसलमानों को भड़काने के आरोप तय किए थे। वहीद ने 1957 में लगातार 5, 12, 23 और 24 अक्टूबर को नफरत फैलाने वाला भाषण दिया था। इसके बाद 9 जनवरी 1958 को भी वहीद ने आग उगली थी। तब वहीद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रेजिडेंट थे। 1957 में वहीद को कासिम रिजवी ने पाकिस्तान जाने के बाद संगठन की बागडोर सौंपी थी।
जब ओवैसी परिवार के हाथ में इस संगठन की बागडोर आई तब भी यह संगठन नफरत की सियासत करता रहा। अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपने दादा की नफरत की सियासत को ही आगे बढ़ाया है। अकबरुद्दीन के दादा मौलाना अब्दुल वहीद ओवैसी को भी नफरत फैलाने के लिए 11 महीने तक जेल में रखा गया था। वहीद ओवैसी ने भी 56 साल पहले कुछ ऐसी ही आग उगली थी।
अब्दुल वहीद को 14 मार्च 1958 को अरेस्ट किया गया था। वहीद पर हैदराबाद पुलिस ने सांप्रदायिक सद्भावना को भंग करने, मजहबी नफरत फैलाने, स्टेट के खिलाफ मुसलमानों को भड़काने के आरोप तय किए थे। वहीद ने 1957 में लगातार 5, 12, 23 और 24 अक्टूबर को नफरत फैलाने वाला भाषण दिया था। इसके बाद 9 जनवरी 1958 को भी वहीद ने आग उगली थी। तब वहीद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रेजिडेंट थे। 1957 में वहीद को कासिम रिजवी ने पाकिस्तान जाने के बाद संगठन की बागडोर सौंपी थी।
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