डिबाई-इमाम हुसैन का चहल्लुम निकाला गया। मौ0 शेखान की मस्जिद से ताजिये निकलने शुरू हुए और गम शौक मनाते हुए शिया मुस्लिम करवला की ओर चले गयें।
सैयद मौहम्मद असकरी इस वारें में बताते है। कि नवासे रसूल हजरत इमाम हुसैन ने करवला के मैदान में बेमिसाल कुर्वानी देकर तमाम आलम को यह दर्शा दिया कि हक के लिए पहाड़ से भी टकराना पड़ें तो भी हिम्मत से काम लेगें। हुसैन उस अज्म का नाम है जिसने कसीर लशकर से मोर्चा लिया और सबक दे गये कि अपने हक के लिए अपने आप को मिटा दो मगर सिर मत झुकाओ। उसी हुसैन की याद को ताजा करने करने के लिए ताजियो का जुलूस निकाला जाता है। जुलूस में डा0जाफरी,डा0 खुशनूद,नन्हे भाई,जफर अब्बास जाफरी,अनवार जैदी आदि लोग मौजूद रहें।
सैयद मौहम्मद असकरी इस वारें में बताते है। कि नवासे रसूल हजरत इमाम हुसैन ने करवला के मैदान में बेमिसाल कुर्वानी देकर तमाम आलम को यह दर्शा दिया कि हक के लिए पहाड़ से भी टकराना पड़ें तो भी हिम्मत से काम लेगें। हुसैन उस अज्म का नाम है जिसने कसीर लशकर से मोर्चा लिया और सबक दे गये कि अपने हक के लिए अपने आप को मिटा दो मगर सिर मत झुकाओ। उसी हुसैन की याद को ताजा करने करने के लिए ताजियो का जुलूस निकाला जाता है। जुलूस में डा0जाफरी,डा0 खुशनूद,नन्हे भाई,जफर अब्बास जाफरी,अनवार जैदी आदि लोग मौजूद रहें।
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