नई दिल्ली।। इस महीने के अंत तक नितिन
गडकरी को दूसरी बार पार्टी प्रेजिडेंट बनाने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।गुजरात
के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में बड़ी और
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि फरवरी
में नरेंद्र मोदी को पार्टी की इलेक्शन कैंपेन कमिटी का हेड बनाया जा सकता
है।
खबर यह भी है कि मोदी के खास समझे जाने वाले पुरुषोत्तम रुपाला और अमित शाह को भी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी में जगह मिल सकती है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नितिन गडकरी पार्टी प्रेजिडेंट के रूप में दूसरा कार्यकाल शुरू करने के एक-दो हफ्तों के अंदर नरेंद्र मोदी का नाम पार्टी की कैंपेन कमिटी के चेयरमैन के रूप में सुझा सकते हैं।
आमतौर पर बीजेपी अपनी कैंपेन कमिटी के चेयरमैन की नियुक्ति चुनाव से ठीक पहले करती है, लेकिन इस बार हालात काफी अलग और अहम हैं। भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि वह इलेक्शन से काफी पहले ही नई कैंपेन कमिटी का गठन कर दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि कांग्रेस पहले ही तय कर चुकी है कि उसके प्रचार की कमान राहुल गांधी संभालेंगे। ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती कि वह चुनाव की तैयारियों में पिछड़ जाए।
बताया जा रहा है कि इस कदम के पीछे का मकसद जेडी(यू) को एनडीए के साथ बनाए रखना भी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर बीजेपी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार बनाती है, तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो जाएगी। बीजेपी नहीं चाहती कि एनडीए की अहम सहयोगी पार्टी उसका साथ छोड़े। इस तरह के हालात टालने के लिए मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के बजाए चुनाव प्रचार कमिटी का हेड बनाना सूझबूझ भरा फैसला हो सकता है।
इलेक्शन कैंपेन के हेड की जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण है। इसे एक तरह से 'मास्टर की' समझा जाता है। इलेक्शन कमिटी के हेड बनने के बाद नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी की हर राजनीतिक कमिटी के हिस्सा होंगे। खास बात यह है कि टिकट बांटने में भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी।
खबर यह भी है कि मोदी के खास समझे जाने वाले पुरुषोत्तम रुपाला और अमित शाह को भी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी में जगह मिल सकती है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नितिन गडकरी पार्टी प्रेजिडेंट के रूप में दूसरा कार्यकाल शुरू करने के एक-दो हफ्तों के अंदर नरेंद्र मोदी का नाम पार्टी की कैंपेन कमिटी के चेयरमैन के रूप में सुझा सकते हैं।
आमतौर पर बीजेपी अपनी कैंपेन कमिटी के चेयरमैन की नियुक्ति चुनाव से ठीक पहले करती है, लेकिन इस बार हालात काफी अलग और अहम हैं। भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि वह इलेक्शन से काफी पहले ही नई कैंपेन कमिटी का गठन कर दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि कांग्रेस पहले ही तय कर चुकी है कि उसके प्रचार की कमान राहुल गांधी संभालेंगे। ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती कि वह चुनाव की तैयारियों में पिछड़ जाए।
बताया जा रहा है कि इस कदम के पीछे का मकसद जेडी(यू) को एनडीए के साथ बनाए रखना भी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर बीजेपी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार बनाती है, तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो जाएगी। बीजेपी नहीं चाहती कि एनडीए की अहम सहयोगी पार्टी उसका साथ छोड़े। इस तरह के हालात टालने के लिए मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के बजाए चुनाव प्रचार कमिटी का हेड बनाना सूझबूझ भरा फैसला हो सकता है।
इलेक्शन कैंपेन के हेड की जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण है। इसे एक तरह से 'मास्टर की' समझा जाता है। इलेक्शन कमिटी के हेड बनने के बाद नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी की हर राजनीतिक कमिटी के हिस्सा होंगे। खास बात यह है कि टिकट बांटने में भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी।
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