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अरे नितीस जी जागो - अब विहार बन रहा है आतंकबादियों की पनाहगाह

पटना।।मोदी से खासी दूरी बनाऐ रखने बाले नितीश जी के लिए बहुत ही खराब खबर है कि एक तरफ तो वे मोदी को फूटी आँख भी नही देखना चाहते हैं वही उनके द्वारा शासित प्रदेश में ही उनकी नाक के नीचे आतंक बादी फल फूल रहैं हैं। 
 कभी शांति के लिए फेमस रहा बिहार का मिथिलांचल इलाका इन दिनों आतंकवादियों की पनाहगाह बनता जा रहा है। इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी यासीन भटकल का अहम सहयोगी दानिश अंसारी की बिहार के दरभंगा से हुई गिरफ्तारी इस तरह की कोई पहली घटना नहीं है। देश में कई स्थानों पर हुईं आतंकवादी घटनाओं के तार अक्सर बिहार से जुड़ते रहे हैं।

बिहार का सीमांचल इलाका हो या मिथिलांचल क्षेत्र, यहां आतंकवादी घटनाओं की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और एटीएस की नजरें लगी रहती हैं। पुलिस के रिकॉड्स को खंगाला जाए तो पिछले कई वर्षों से यहां संदिग्ध आतंकवादियों की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है।

2000 में सीतामढ़ी जिले से आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सदस्य मकबूल और जहीर को गिरफ्तार करने में पुलिस को सफलता मिली थी जबकि 20 जुलाई 2006 को मुंबई एटीएस की टीम ने मधुबनी जिले के बासोपट्टी गांव से मोहम्मद कमाल अंसारी को मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के मामले में गिरफ्तार किया था।


नितीश जी का विहार बना आतंकियों का पनाहगाह
12 नवंबर, 2007 को मधुबनी के रहने वाले मोहम्मद सबाउद्दीन उर्फ फरहान को जयपुर में हुए विज्ञान सम्मेलन के दौरान रामपुर के केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कैंप पर गोलीबारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद दिल्ली के सरोजनी नगर में हुए विस्फोट के मामले में 09 जुलाई, 2008 को उत्तर प्रदेश एटीएस ने लखनऊ से मधुबनी जिले के रहने वाले पप्पू खान को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की थी।

14 अक्टूबर, 2008 को उत्तर प्रदेश एटीएस ने मधुबनी के ही रहने वाले मोहम्म्द खलील को पकड़ा तो 17 अगस्त 2009 में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैबा के आतंकवादी उमर मदानी (मधुबनी के बासोपट्टी निवासी) को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हमले के आरोप में 2010 में मधुबनी के गंधवारी से मोहम्मद शबाउद्दीन की गिरफ्तारी की गई। 2010 के पहले महीने में ही गुप्त सूचना के आधार पर पूर्णिया रेलवे स्टेशन से अल कायदा के मिर्जा खान को गिरफ्तार किया गया तो 17 अगस्त 2011 को हूजी के आतंकवादी रियाजुल को किशनगंज से दबोचा गया था।

एक बार फिर एटीएस ने मधुबनी पर पैनी निगाह रखी और 24 नंवबर 2011 को इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी अहमद जमील और मोहम्मद अजमल को गिरफ्तार कर लिया गया। एटीएस को कई आतंकवादी घटनाओं में इन दोनों की तलाश थी। इसी महीने चेन्नै की स्पेशल सेल की पुलिस ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी और समस्तीपुर के रहने वाले इरशाद खान को गिरफ्तार किया जबकि 12 जनवरी 2012 को इंडियन मुजाहिदीन के नकवी और नदीम को दरभंगा से गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह छह मई 2012 को आतंकवादी घटनाओं के आरोप में कर्नाटक पुलिस ने दरभंगा से कफील अख्तर को गिरफ्तार किया था।

गौरतलब है कि आतंकवादी घटनाओं की जांच कर रही एनआईए की एक टीम ने सोमवार की रात बिहार के दरभंगा जिले के लहेरियासराय थाना क्षेत्र से इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक सदस्यों में एक यासीन भटकल के सहयोगी मोहम्मद दानिश अंसारी को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि अंसारी को चकजोहरा क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है। वह दरभंगा के रैयम अंसारी का पुत्र है। जांच एजेंसी का कहना है कि अंसारी ने भटकल के रहने की सुविधा उपलब्ध कराई थी तथा कई आतंकी घटनाओं में अंसारी का हाथ है। सूत्रों के मुताबिक एनआईए की टीम की नजर कुछ और संदिग्धों पर है।

इन गिरफ्तारियों पर हालांकि राज्य पुलिस मुख्यालय का कोई भी पुलिस अधिकारी खुलकर कुछ नहीं बोलता लेकिन राज्य के पुलिस महानिदेशक अभयानंद इतना जरूर कहते हैं कि बिहार पुलिस किसी भी प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों पर निगाह रखती है और कभी भी बाहर की पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आती है और बिहार पुलिस से मदद मांगती है तो मदद मुहैया कराई जाती है।



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