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अपराधी नावालिग वताया , दामिनी पर हुये वलत्कारी को मिला इनाम

न्यायालय का न्याय आज अपराधी छूटा
बलत्कार सा पाप किया इज्जत को लूटा
शैतानी करतब दिखला दामनी मारी
आज न्याय ने देखो कैसी करदी ख्वारी
अब आगे कोई नारी बाहर न निकले
घर में वैठी रहै न्याय की बात न बोले
अन्यायी के दोनों हाथों में अब घी है
दैत्यों ने तो बार बार मानवता पी है 
एक हाथ में अय्यासी  दूजे में जन्नत
लूट मजे में यार खूव भारत की इज्जत
जब तक तू अठ्ठारह वरस का हो पाएगा
तेरा नाम खुदा वन्दों में लिख जाएगा
दोनों हाथों लूटो तुम भारत को भैया
आज डूवने बाली है भारत की नैया
इधर मजे में रहों खूव अय्यासी करलों
उधर पहुँचकर खुदा के घर फिर मौजें लो
खूब करों मनमानी हो नावालिग जब तक
खूव निकालों नारी का फालूदा तब तक
ए न्यायकारी अब तुम भी कुछ आँखे खोलो
अन्यायी सा न्याय किया क्यों तुमने बोलो
बिका लग रहा न्याय आज हमको मंडी में
गुण्डे ऐश किये  दिखते  हमको मंडी में
भारत की नारी का जो तुमने न्याय किया है
अन्याय के शिवा नही कोई काम किया है
इस न्याय को न्याय नही कोई कह सकता
नारी पर अन्याय भारती ना सह सकता
तुमने एसा न्याय किया जो एसी पीड़ा है
शैतानों के यहाँ आज होती क्रीड़ा है
हर शैतान बजाता होगा खुलकर ताली
होगी अब नारी की खुलकर बदहाली
लपकेगा शैतान खूव नावालिग बनकर
टपकेगा अब खून नालियों में बहबहकर
बहिन वेटियाँ कैसे सड़के पार करेगी
अब भारत माँ कैसे देखो धीर धरेगी
आज मानना होगा न्याय की अंधी देवी  
देख न्याय को आज न हिम्मत वंधती मेरी 
आत्मा दामिनी की आज फिर रोती होगी 
शैतानी किटकिटा दाँत फिर हँसती होगी
क्या विगाड़ पायी तू वलिदान देकर भी नारी
आज न्याय ने कर दी फिर से तेरी ख्वारी   

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