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व्यंग- कलियुग में शूपर्णखा

यह एक व्यंग मात्र है।
रावन वध और और राक्षसों की पराजय के पश्चात् शूर्पनखा बड़े दुखी मन के साथ शुक्राचार्य के पास गयी और बोली, "हे आचार्य इस सारे विध्वंश का कारन मै हूँ अतः अपने भाइयों का ऋण उतरने के लिए मै राम से प्रतिशोध लेना चाहती हूँ । शुक्र ने कहा हे पुत्री तपस्या करके पितामह ब्रम्हा कोप्रसन्न करो और वरदान मांगो ।शूर्पनखा उनकी आज्ञा शिरोधार्य करके हिमालय चली गयी । उसने १०००० वर्षों तक कठोर तपस्या की। उसके बालों के जुड़ेसे उठाने वाली बदबू से ब्रम्हांड त्रस्त हो गया । सारे देवता परेशान होकर ब्रम्हा जी के पासगए।देवराज बोले हे पितामह यदि यह कोई विश्वामित्र जैसा ऋषि होता तो रम्भा,उर्वशी अदि को भेजकर इसका वान चिंग पोंग करा देता पर यदि किसी देवता को इसकी तपस्या भंग करने के लिए भेजता हूँ तो धारा ३७६ लग जाएगी ।
त्राहिमाम प्रभु रक्षा करिए। ब्रम्हाजी बोले ठीक है अभी १०० वर्ष कष्ट उठाओ उसके बाद मैं इसकी बात सुनूंगा।समय आने पर ब्रम्हा जी प्रकट हुए और बोले वर मागो शूर्पनखा।शूर्पनखा बोली," हे पितामह मुझे वर दीजिये की मै राम और सीता के चरित्र का हनन करके उनसे प्रतिशोध लूँ ।" ब्रम्हा बोले यह मेरे बस की बात नही है कुछ और मांग ले । कुछ देर सोचकर शूर्पनखा बोली हे पितामह तब मुझे ऐसा वरदान दीजिये की मै राजा रामचंद्र की सारी प्रजा के चरित्र का नाश कर दूँ । बड़े दुखी मन से ब्रम्हा जी ने तथास्तु कहा और फिर आगे बोले हे शूर्पनखा थोड़ी प्रतीक्षाकर कलियुग में चलचित्र नमक एक मनोरंजन के साधन का आविष्कार होगा । उस समय तू सैकड़ों रूपों में जन्म लेकर चलचित्रों की नायिका बनेगी । तेरे अनेक रूप औरनाम होंगे जैसे पूनम पाण्डेय , सनी लियॉन ,मल्लिका शेरावत , प्रियंका चोपड़ा आदि । तुझे किसी भी सीमा तक अंग प्रदर्शन, एवं अश्लील कार्य करने का अधिकार होगा । जिस युवराज ने तेरे सौन्दर्य को ठुकरायाउसके राष्ट्र की प्रजा तेरे चित्रों और हव भाव के पीछे पागल रहेगी । युवक तेरे सपने देखा करेंगे ,युवतियां तुझे अपना आदर्श मानेंगी और तेरे जैसी बनाने का प्रयास करेंगी । इस प्रकार तू राजा रामचंद्र के राष्ट्र के अनेक पुरुषो को लम्पट और स्त्रियों को कुलटा बनानेमें सफल होगी ।
इतना कहकर ब्रम्हा देव अंतर्ध्यान होगए और शूर्पनखा ने योगबल पर अपने शरीर को त्याग नए जन्मो की तयारी प्रारंभ कर दी ।
                                             #डा. सौरभ द्विवेदी"स्वप्नप्रेमी"

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